चिंगारियाँ लिप्टों मे है बदलरही
देखो दुनियाँ है जलरही
फौलाद पिघलके है बेहरही
देखो बुनियाद है ढेहरही
ऐलाने जंगका, शंख है बजरहा
देखो फ़ौज है सजरहा
रोको न इनको अब खड़े
अब तो हैं ये बढ़ चले
रुकें न आँधी ,न डर तूफान से
बाँध ये चले , हैं सर कफ़न से
Tuesday, August 23, 2011
Friday, August 19, 2011
मंजिल
हौसला एक बढने का
लिए मनमे तू चलता
रुके न तू कभी
गिरता सम्भलता चलता
पटवार बुलंद इरादोंका
जीवन नैया चलाए
उम्मीदों का घरोंदा
तू पंछी है बनाए
राही अपने मन्जिलका
मंजिल तू खुद बनाए
लिए मनमे तू चलता
रुके न तू कभी
गिरता सम्भलता चलता
पटवार बुलंद इरादोंका
जीवन नैया चलाए
उम्मीदों का घरोंदा
तू पंछी है बनाए
राही अपने मन्जिलका
मंजिल तू खुद बनाए
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