Tuesday, August 23, 2011

चिंगारियाँ

चिंगारियाँ लिप्टों मे है बदलरही
देखो दुनियाँ है जलरही
फौलाद पिघलके है बेहरही
देखो बुनियाद है ढेहरही
ऐलाने जंगका, शंख है बजरहा
देखो फ़ौज है सजरहा
रोको न इनको अब खड़े
अब तो हैं ये बढ़ चले
रुकें न आँधी ,न डर तूफान से
बाँध ये चले , हैं सर कफ़न से

Friday, August 19, 2011

मंजिल

हौसला एक बढने का
लिए मनमे तू चलता
रुके न तू कभी
गिरता सम्भलता चलता
पटवार बुलंद इरादोंका
जीवन नैया चलाए
उम्मीदों का घरोंदा
तू पंछी है बनाए
राही अपने मन्जिलका
मंजिल तू खुद बनाए