बादल कती अनौठो
रूप हजारौं फेरी
डुल्दै गगन मंडल
मर्त्ये लोक हेरी
जल भई बर्सने
मेघ भई गर्जी
चंद्र सूर्य नै छेक्ने
आंटिलो छ मर्जी
तरंगको चक्र सागरमा
फैलिदै किनारा छुन्छ
आकाश धर्तीको संगम
क्षितिजमा बादल पुग्छ
यसैको गुण बोकेर
सगरमाथा तिमी चध्नेछौ
कर्तब्य कठोर पथमा
हिंदी किर्तीमान बन्नेछौ
Saturday, November 7, 2009
Monday, November 2, 2009
मेरो स्वाभिमान
म एकान्तमा पनी एक्लो छैन, भिडमा म हराउन पनी सक्दिन / कोलाहल र अशान्तिमा , आफ्नो शान्ति हराउन दिन्न // मेरो अस्तित्वो मेरो स्वाभिमान, कसैले डगमगाउन सक्दैन /// म सींगो पूर्ण छू - मलाई , कसैले तुक्र्यौन सक्दैन ////
मेरो सोच
सोचले सोच बदलिन्छ, सोचलाई सोचेर नसोचे, सोचले सोचको बिनाश गर्छ, सोचलाई सोच बन्न नदेऊ, सोचलाई रोजेर सोच बनाऊ, दु:खको सोचले सोच दुखी हुन्छ, खुशीको सोच नै सोचको खुशी हो, जीवन एउटा सोच हो, सोचलाई कर्म नबनाऊ /
बिदुर नीती
बिदुर निति से : An extract from Bidur Niti
आक्रुश्यमानो नाक्रोशेन्मन्युरेव तितिक्ष्यत :/ आक्रोश्तारम निर्दहति सुकृतं चास्य विन्दति //
अर्थात: कोई विचारशील ब्यक्ति या जिसमे थोडी सी भी मनुष्यता हो , किसी परिस्थिति विशेष पर क्रोध में आकर पीडा पहुंचा दे या कोई हानि कर दे, तो उसे क्षमा कर देना चाहिए, किंतु येदी पीडा पहुंचानेवाला नीरा पशु हो और बार - बार पीडा और प्रताड़ना पहुंचा रहा हो; समझाने पर भी न माने, तो उसे अवश्य ही दण्डित करना चाहिए/इसके लिए बल न हो ,तो बुद्धि से उसका दमन करना चाहिए/अन्येथा ऐसा ब्यक्ति आपकी क्षमाशीलता को कायेरता समझेगा/वोह आपको बार - बार प्रताडित करेगा/इतना ही नही,आपकी क्षमाशीलता को वोह अपना पराक्रम समझेगा और अन्यों को प्रताडित करेगा/इसलिए क्षमा का दान भी पात्र देखकर ही करना चाहिए /
आक्रुश्यमानो नाक्रोशेन्मन्युरेव तितिक्ष्यत :/ आक्रोश्तारम निर्दहति सुकृतं चास्य विन्दति //
अर्थात: कोई विचारशील ब्यक्ति या जिसमे थोडी सी भी मनुष्यता हो , किसी परिस्थिति विशेष पर क्रोध में आकर पीडा पहुंचा दे या कोई हानि कर दे, तो उसे क्षमा कर देना चाहिए, किंतु येदी पीडा पहुंचानेवाला नीरा पशु हो और बार - बार पीडा और प्रताड़ना पहुंचा रहा हो; समझाने पर भी न माने, तो उसे अवश्य ही दण्डित करना चाहिए/इसके लिए बल न हो ,तो बुद्धि से उसका दमन करना चाहिए/अन्येथा ऐसा ब्यक्ति आपकी क्षमाशीलता को कायेरता समझेगा/वोह आपको बार - बार प्रताडित करेगा/इतना ही नही,आपकी क्षमाशीलता को वोह अपना पराक्रम समझेगा और अन्यों को प्रताडित करेगा/इसलिए क्षमा का दान भी पात्र देखकर ही करना चाहिए /
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