चिंगारियाँ लिप्टों मे है बदलरही
देखो दुनियाँ है जलरही
फौलाद पिघलके है बेहरही
देखो बुनियाद है ढेहरही
ऐलाने जंगका, शंख है बजरहा
देखो फ़ौज है सजरहा
रोको न इनको अब खड़े
अब तो हैं ये बढ़ चले
रुकें न आँधी ,न डर तूफान से
बाँध ये चले , हैं सर कफ़न से
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