Sunday, September 26, 2010

अब दर्द नही रहा

कुछ तुने दिए थे
कुछ मेरे अपने थे
अब दर्द नही रहा

ज़ख्म वह भर गए
निशां भी मिट गए
तडपा था मैं कभी
अब दर्द नही रहा
कुछ तुने दिए थे
कुछ मेरे अपने थे
अब दर्द नही रहा

चाहता मैं भुलाना मगर
जेहेन मे बसा था मगर
सम्भाला ख़ुदको मैंने
दर्द मे अब तलक
अब दर्द नही रहा
कुछ तुने दिए थे
कुछ मेरे अपने थे
अब दर्द नही रहा


ना पुछूंगा ख़ुद से
ना पुछूंगा तुझ से
सवाले बेरुख़ी का
हालात से सिखा हूँ
मैं संभल चुका हूँ
अब दर्द नही रहा
कुछ तुने दिए थे
कुछ मेरे अपने थे
अब दर्द नही रहा

रेहने दो दोस्ती भी
यह रिश्ता है मेहंगा
दिल से जो कंगाल हो
दोस्ती ख़ाक निभाओगे?
तन्हा ही ख़ुश हूँ
अब दर्द नही रहा
कुछ तुने दिए थे
कुछ मेरे अपने थे
अब दर्द नही रहा



1 comment:

  1. TANIYO KA AALAM HAMESHA NAHI RAHEGA
    DEKHO APNE AAS PASS KOI NAYA HAMFSER ZAROOR MILAGA.
    ZARURAT HAI BAS EK KADAM BADANE KI
    AAP PER TO MERE YAAR HAR KOI MAR MITAGA.
    RAHI BAAT DARD KI TO
    NAYE RISTE BANETE HI KOI DARD NAHI RAHEGA.

    ReplyDelete