Friday, May 17, 2013

......

खुश नज़र आता
मैं मुस्कुराता हुआ
काश तू होती
रूबरू बैठी
यूँ तो दिल झूमता है
जब ख्वाब बनती हो
आँखे बंद करता हूँ
तुम ही नज़र आती हो
ये मेरा है मानना
तू हकिकत है
गर तू न होती ,
मेरी सांसे कैसे चलतीं ?
समंदर सी आँखे तेरी
लेहरों मैं बेहता मै
प्यार तेरा है दवा
वरना वीमार मैं न होता ?
मिठी सी एहसास होती
तू जो पास होती
दूर है तो गम है
आँखे भी नम है
एक मगर एहसास ही
काफ़ि है तेरे इश्कका
मेरे वेवजह मुस्कुरानेका

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