Monday, November 29, 2010

मन तुने आज भी न सुना मेरा केहना/ खुदसे ही करके बैर , रूठा है तू खुदसे क्यूँ ? तकलीफें सारि क्या फिर न आएंगी ? क्यूँ लड़ने का मन्त्र नही है पढता ? आज तू खुदको बुलंद करले , कल तू ही दुनिया बन पाएगा / जितले तू खुदको अभी , वरना बेचारा ही कहलाएगा /

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